नियति एक पल वहां खड़ी राज को जाते हुए घूरति है और फिर अपनी गर्दन पर जहाँ राज की उंगलियां छू कर गुजरी थी...... वहां अपनी हथेली रगड़ते हुए विला की तरफ बढ़ जाती है.....
जाने से पहले उसकी नज़र एक बार भी विला की उस दिवार पर आ चुकी दरार पर नहीं गयी....... उस जगह जहाँ राज ने गुस्से से अपने हथेली जोर से दिवार पर मारी थी.......
Write a comment ...