नियति के हाथ मे तेज दर्द हो रहा था वो अपनी आँखें दर्द से कस कर बंद किये हुए थी अगर अभी उसके सामने खड़ा शख्श उसके मूह को इस तरह अपनी हथेली से दबाये ना खड़ा होता तो वो बाकई दर्द से चीख उठती........
उसके बाजुओं मे भी दर्द अब बढ़ गया था की काफी वक़्त से उसके( नियति के ) सामने खड़ी वो लम्बे छोड़े बजूद की काली परछाई ने उसके बाजुओं को एक हाथ से कस कर थामा हुआ था...... और दूसरे हाथ से उसके मुँह को कवर कर रखा था ..... की नियति चाह कर भी ना तो हिल पा रही थी...... ना ही उसके मुँह दबे होने की वजह से कुछ बोल पा रही थी...
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